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इतिहास

रीवा बघेल नरेश की राजधानी रही हैं| सन 1618 में रीवा नरेश विक्रमादित्य सिंह ने बांधवगढ़ को राजधानी का दर्जा ख़त्म कर के रीवा नगर को राजधानी बनाया| तथा इसे विस्तृत और स्थापित किया | तब से 1947 ई. तक रीवा बघेल नरेशो की राजधानी रही|

यहा की कला और संस्कृति काफी समृद्ध थी, प्राचीन काल में इस भू-भाग में कर्चुली नरेशो का लगभग 12वी शताब्दी तक आधिपत्य रहा | कर्चुली नरेशो ने सुंदर मंदिरों और मठो का निर्माण कराया, बाद में बघेल नरेशो के शासनकाल में भी कई खूबसूरत भवन, मंदिर आदि के निर्माण कार्य कराए गये | यहाँ के रहन सहन की झलकियाँ कई प्राचीन मूर्तियों में देखने को मिलती हैं|

तत्कालीन रीवा राज्य की सीमाये यमुना के किनारों से लेकर अमरकंटक तक रही हैं |यहाँ के जंगल विशाल एवम् घने थे| इन जंगलो में वर्तमान समय में कई प्रकार के जंगली जानवर पाए जाते हैं | देश की आजादी के बाद 1948 में आसपास की कई रियासतों को मिलाकर विन्ध्यप्रदेश का गठन किया गया, जिसकी राजधानी रीवा बनायी गयी |रीवा नरेश महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव को राज प्रमुख बनाया गया|

सन 1956 में मध्यप्रदेश राज्य का गठन हुआ जिसमे विंध्यप्रदेश का विलय कर दिया गया| रीवा संभाग के अंतर्गत पाँच जिले रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली और मऊगंज आते हैं, इस संभाग का संभागीय मुख्यालय रीवा हैं|

यहाँ सदियों से हिन्दू-मुस्लिम रहते चले आ रहे हैं, सभी एक दुसरे के प्रति गहरा सद्भाव रखते हैं | यहाँ के प्रमुख त्योहारो में दीवाली, दशहरा, होली, शिवरात्रि, रामनवमी, बसंत पंचमी, ईद, बकरीद आदि हैं, सभी एक दुसरे के त्योहार में शामिल होते है|